भारत को एक महान राष्‍ट्र बनाने वाली महिलाओं से सम्बन्धित जानकारी



ऐनी बेसेण्‍ट (1847-1933)
ऐनी बेसेण्‍ट (1847-1933)
भारतीय समाजसेवी, लेखिका व स्‍वतन्‍त्रता संग्राम में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाने वाली ऐनी बेसेण्‍ट आयरिश मूल की थी। वह थियोसोफिकल सोसायटी की भी सदस्‍य रही। इन्‍होंने 7 जुलाई 1898 को बनारस में 'सेण्‍ट्रल हिन्‍दू कॉलेज' की स्‍थापना की जिसे आगे चलकर मदनमोहन मालवीय जी के सहयोग से 'काशी हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय' के रूप में जाना जाने लगा। वर्ष 1917 में बेसेण्‍ट ने को कांग्रेस के कलकत्‍ता अधिवेशन का अध्‍यक्ष चुना गया। इनके द्वारा वर्ष 1916 में 'ऑल इण्डिया होम रूल लीग' का गठन किया। इन्‍होंने भारत में बाल विवाह, जातीय व्‍यवस्‍था तथा विधवा विवाह जैसी समस्‍याओं को दूर करने के लिए 'ब्रदर्स आफ सर्विस' नामक संस्‍था का गठन किया। इनकी पुस्‍तके 'कामनवील' तथा 'न्‍यू इण्डिया' काफी प्रसिद्ध है। 

अरूणा आसफ अली (1909-1996)
अरूणा आसफ अली (1909-1996)
भारतीय स्‍वतन्‍त्रता संग्राम में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाने वाली अरूणा आसफ अली का मूल नाम अरूणा गांगुली था। वर्ष 1942 भारत छोडो आन्‍दोलन के दौरान बम्‍बई (मुम्‍बई) के ग्‍वालिया टैंक मैदान में कांग्रेस का झण्‍डा फहराने के लिए इन्‍हें हमेंशा याद किया जाता है। इन्‍हें वर्ष 1930, 1932 व 1941 में सत्‍याग्रह के समय जेल भी भेजा गया। अरूणा दिल्‍ली नगर निगम की प्रथम महापौर भी रही। अरूणा आसफ अली को वर्ष 1997 में मरणोपरान्‍त भारत के सर्वोच्‍च सम्‍मान 'भारत रत्‍न' से सम्‍मानित किया गया।

भगिनी निवेदिता (1867-1911)
भगिनी निवेदिता (1867-1911)
आयरिश मूल की भगिनी निवेदिता सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षिका तथा भारत की स्‍वतन्‍त्रता की समर्थक थी। इनका मूल नाम 'मार्गरेट एलिजाबेथ नोबेल' था। वर्ष 1895 में इंग्‍लैण्‍ड में इनकी मुलाकत विवेकानन्‍द से हुई, उसके बाद भारतीय सभ्‍यता, संस्‍कृति, दर्शन, साहित्‍य में रूचि के कारण ये वर्ष 1898 में भारत आ गई तथा राम‍कृष्‍ण मिशन व स्‍वामी विवेकानन्‍द के सानिध्‍य में समाजसेवा में लग गई। विवेकानन्‍द ने ही इन्‍हें 'निवेदिता' उपनाम प्रदान किया। 'द मास्‍टर ऐज आई सॉ हिम' नामक पुस्‍तक में निवेदिता ने भारतीय दर्शन तथा विवेकानन्‍द के साथ अपने अनुभवों को लिखा है। वर्ष 1911 में दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल) में 44 वर्ष की आयु में इनका देहान्‍त हो गया।

देविका रानी (1908-1994)
देविका रानी (1908-1994)
विशाखापटटनम में जन्‍मी देविका रानी, भारतीय सिनेमा की पहली स्‍थापित नायिका थी। इन्‍होंने अपनी फिल्‍मों के माध्‍यम से सामाजिक रूढियों और मान्‍यताओं को चुनौती दी। अछूत कन्‍या, इज्‍जत, सावित्री व निर्मला इनकी प्रमुख फिल्‍में हैं। ये पदमश्री व दादासाहेब फाल्‍के पुरस्‍कार प्राप्‍त करने वाली प्रथम अभिनेत्री हैं। प्रसिद्ध बाम्‍बे टॉकीज बैनर की स्‍थापना इन्‍होंने अपने पति हिमांशु राय के साथ की थी।

बछेन्‍द्री पाल (1954-)
बछेन्‍द्री पाल (1954-)
उत्‍तराखण्‍ड की बेटी बछेन्‍द्र पाल का जन्‍म 1954 में हुआ। वे 1984 में विश्‍व की सबसे उंची चोटी माउण्‍ट एवरेस्‍ट पर चढने वाली प्रथम भारतीय महिला बनी तथा विश्‍व की पांचवी महिला बनी जिसने एवरेस्‍ट फतह की। इन्‍हें वर्ष 1985 में पदमश्री तथा वर्ष 1986 में अर्जुन पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया। इनकी आत्‍मकथा 'एवरेस्‍ट माई जर्नी टू द टॉप' है।

इन्दिरा गांधी (1917-1984)
इन्दिरा गांधी (1917-1984)
इन्दिरा गांधी देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री तथा पण्डित जवाहर लाल नेहरू की पुत्री थी। वर्ष 1966 में ये देश की तीसरी प्रधानमंत्री बनी। वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में विजय तथा बांग्‍लादेश के निर्माण में इनकी प्रमुख भूमिका रही। वर्ष 1969 में बैंकों का सर्वप्रथम राष्‍ट्रीकरण तथा 1974 में प्रथम परमाणु परीक्ष्‍ण इनके प्रधानमंत्री काल की प्रमुख उपलब्धि रही। वर्ष 1984 में इनके दो सिख अंगरक्षकों ने इनकी हत्‍या कर दी।

कस्‍तूरबा गांधी (1869-1944)
कस्‍तूरबा गांधी (1869-1944)
कस्‍तूरबा गांधी, महात्‍मा गांधी की पत्‍नी थी, जिन्‍हें 'बा' के उपनाम से सम्‍बोधित किया जाता है। ये महात्‍मा गांधी की 'स्‍वतन्‍त्रता कुमुक' की पहली महिला प्रतिभागी थी। इन्‍होंने दक्षिण अफ्रीका में महात्‍मा गांधी के आन्‍दोलन के साथ भारत के सभी प्रमुख आन्‍दोलनों में महात्‍मा गांधी के सहयोगी की भूमिका निभाई। 1944 में आगा खां महल (पुणे) में इनकी मृत्‍यु हुई। 

कल्‍पना चावला (1962-2003)
कल्‍पना चावला (1962-2003)
कल्‍पना चावला का जन्‍म 17 मार्च 1962 को करनाल में हुआ था। इनका वर्ष 1988 में इनका चयन नासा के अन्‍तरिक्ष अभियानों के लिए किया गया। इनकी पहली अन्‍तरिक्ष यात्रा वर्ष 1997 में हुई, वहीं दूसरी अन्‍तरिक्ष यात्रा से लौटते समय वर्ष 2003 में अन्‍तरिक्ष यान 'कोलम्बिया' के दुर्घटनाग्रस्‍त होने से इनकी मृत्‍यु हो गई। इनकी स्‍मृति में भारत में मैटसेट श्रृखला के उपग्रहों का नाम 'कल्‍पना' कर दिया गया है। 

मदर टेरेसा (1910-1997)
मदर टेरेसा (1910-1997)
मदर टेरेसा अल्‍बानियाई मूल की भारतीय व महान समाजसेवी थी। इनका मूल नाम 'आग्‍नेसे गोकशे बोजशियु' था। इन्‍होंने वर्ष 1950 में कलकत्‍ता में 'मिशनरीज आफ चैरिटी' की स्‍थापना की। इन्‍हें वर्ष 1979 में नोबेल शान्ति पुरस्‍कार से तथा वर्ष 1980 में देश का सर्वोच्‍च नागरिक पुरस्‍कार 'भारत रत्‍न' से सम्‍मानित किया गया। वर्ष 2016 में इन्‍हें 'सन्‍त' का दर्जा पोप फ्रान्सिस द्वारा प्रदान किया गया।

महादेवी वर्मा (1907-1987)
महादेवी वर्मा (1907-1987)
हिन्‍दी की प्रमुख छायावादी कवयित्री महादेवी वर्मा प्रयाग महिला विद्यापीठ की संस्‍थापक व प्रधानाचार्या रही। 'नीरजा', 'सान्‍ध्‍यगीत', 'दीपशिखा', 'यामा', 'नीहार', 'रश्मि', 'अतीत के चलचित्र', 'स्‍मृति की रेखाऐ' तथा 'पथ के साथी' इनकी प्रमुख कृतियां है। 

राजकुमारी अमृत कौर (1889-1964)
राजकुमारी अमृत कौर (1889-1964)
राजकुमारी बमृत कौर लखनउ में जन्‍मी प्रख्‍यात गांधीवादी, स्‍वतन्‍त्रता सेनानी तथा सामाजिक कार्यकर्ता थी। ये 16 वर्ष तक महात्‍मा गांधी की सचिव रही। इन्‍हें दाण्‍डी मार्च तथा भारत छोडो आन्‍दोलन के दौरान जेल भी जाना पडा। ये स्‍वतन्‍त्रता के पश्‍चात गठित पहले मन्त्रिमण्‍डल में स्‍वास्‍थ्‍य मन्‍त्री थी। वर्ष 1950 में ये विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की अध्‍यक्ष रही। 

सुचेता कृपलानी (1908-1974)
सुचेता कृपलानी 
अम्‍बाला (हरियाणा) में जन्‍मी सुचेता कृपलानी प्रसिद्ध भारतीय स्‍वतन्‍त्रता सेनानी व राजनीतिज्ञ थी। वह प्रसिद्ध कांग्रेसी नेता जेबी कृपलानी की पत्‍नी थी। ये उत्‍तर प्रदेश की चौथी मुख्‍यमंत्री के साथ ही भारत की प्रथम महिला मुख्‍यमंत्री भी रही। ये वर्ष 1948-60 तक भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस की महासचिव रही।

सुभद्रा कुमारी चौहान (1904-1948)
सुभद्रा कुमारी चौहान (1904-1948)
हिन्‍दी की प्रसिद्ध कवयित्री, लेखिका व सवतन्‍त्रता संग्राम सेनानी सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाओं में राष्‍ट्र प्रेम की अभिव्‍यक्ति होती है। वर्ष 1922 के जबलपुर 'झण्‍डा सत्‍याग्रह' की ये पहली महिला सत्‍याग्रही थी। इनकी प्रमुख कवितायें 'वीरों का कैसा हो बसन्‍त, झांसी की रानी, विजयादशमी, स्‍वदेश के प्रति, विदाई, सेनानी का स्‍वागत तथा तलियांवाला बाग में बसन्‍त' है। 

सरोजनी नायडू (1876-1949)
सरोजनी नायडू
प्रविद्ध कवियत्री एवं स्‍वतन्‍त्रता सेनानी सरोजनी नायडू का जन्‍म हैदराबाद में हुआ था। 'द गोल्‍डन थे्रशहोल्‍उ', 'वर्ड आफ टाइम' तथा 'ब्रोकन विंग' इनकी प्रमुख कविता संग्रह हैं। ये 1925 में कलकत्‍ता अधिवेशन में कांग्रेस की अध्‍यक्ष रही। इन्‍होंने महात्‍मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका में आन्‍दोलन, वर्ष 1930 के प्रसिद्ध नमक सत्‍याग्रह तथा भारत छोडो आन्‍दोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। स्‍वतन्‍त्रता प्राप्ति के पश्‍चात ये उत्‍तर प्रदेश की पहली राज्‍यपाल भी नियुक्‍त हुई। ये देश की प्रथम महिला राज्‍यपाल थी। इन्‍हें 'भारत कोकिला' के उपनाम से भी जाना जाता है। 

विजयलक्ष्‍मी पण्डित (1900-1990)
विजयलक्ष्‍मी पण्डित (1900-1990)
विजय लक्ष्‍मी पण्डित भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की बहन थी। इनके बचपन का नाम 'स्‍वरूप' था। ये संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा की पहली महिला अध्‍यक्ष होने के साथ-साथ भारत की पहली महिला राजदूत रही। ये वर्ष 1952 व 1964 में लोकसभा की सदस्‍य भी रही। 

उषा मेहता (1920-2000)
उषा मेहता (1920-2000)
उषा मेहता का जन्‍म सूरत में हुआ था। ये भारत छोडो आन्‍दोलन के समय खुफिया तरीके से कांग्रेस रेडियो का प्रसारण करने के कारण पूरे देश में लोकप्रिय हुई। वर्ष 1988 में इन्‍हें भारत सरकार द्वारा 'पदम विभूषण' से सम्‍मानित किया गया।

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