5 जून 2017 को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अन्तरिक्ष केन्द्र से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा भारत का अबतक का सबसे भारी राकेट का सफल प्रक्षेपण किया गया।
क्या है GSLV MARK -III
यह राकेट ISRO द्वारा विकसित एक चौथी पीढी का प्रक्षेपणयान है। जिसे भू-स्थिर कक्षा (जियो स्टेशनरी आर्बिट) में भारी उपग्रहों तथा मानव मिशन को प्रक्षेपित करने के लिए विकसित किया गया। यह एक स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन पर विकसित स्वदेशी प्रक्षेपणयान है।
क्रायोजेनिक इंजन
क्रायोजेनिक इंजन एक ऐसी तकनीक है, जिसमें क्रायोजेनिक इन्जन शून्य से बहुत नीचे यानी क्रायोजेनिक तापमान पर कार्य करता है। 238 डिग्री फेरेनहाईट को क्रायोजेनिक तापमान कहा जाता है। इस तापमान पर क्रायोजेनिक इंजन का ईधन (आक्सीजन व हाइड्रोजन गैसें) तरल अवस्था में बदल जाती है। इसी तरल आक्सीजन व तरल हाइड्रोजन को क्रायोजेनिक इंजन में जलाया जाता है, जिसमें इतनी उर्जा होती है कि इंजन को 4.4 किमी0 की गति प्रदान करता है।
जीसैट-19 का डिजिटल इण्डिया पर प्रभाव
GSLV MARK -III राकेट के साथ जीसैट-19 सैटेलाईट को भी प्रक्षेपित किया गया जो संचार तथा इन्टरनेट में एक नई क्रान्ति का आगाज करेगा। जीसैट-19 अकेले हमारे पुराने 6-7 संचार उपग्रहों के बराबर है। इस तकनीक से डिजिटल इण्डिया को निश्चित ही एक नई ताकत मिलेगी।
भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक नजर में.......
यह भारतीय अंतरिक्ष संस्थान है। जिसका मुख्यालय बेगलुरू (कर्नाटका)में है। इसकी स्थापना 1969 में हुई। इसकी स्थापना में बिक्रम साराभाई की अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसरो द्वारा प्रथम प्रक्षेपित उपग्रह ''आर्यभटट'' (1975) था।