Chapter 1 : Introduction to Computer

Chapter-1 : Introduction to Computer

  • Computer and Latest IT gadgets
  • Evolution of Computers & its applications
  • IT gadgets and their applications
  • Basics of Hardware and Software
  • Hardware
  • Central Processing Unit
  • Input devices
  • Output devices
  • Computer Memory & storage
  • Software
  • Application Software
  • Systems Software
  • Utility Software
  • Open source and Proprietary Software
  • Mobile Apps
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Introduction:

Computers are electronic devices that process and store data, perform calculations, and execute tasks based on instructions.
They have become an integral part of modern life, influencing various fields such as communication, education, business, and entertainment.

कम्‍प्‍यूटर में गणना करने के लिए पहले प्रयोग की जाने वाली डिवाइसें मैकेनिकल थी, जिसमें अबेकस को पहला कम्‍प्‍यूटर कहा जाता है।

चार्ल्‍स बैबेज ने एनालिटिकल और डिफरेंस इंजन का अविष्‍कार किया जिसमें मैमोरी डाली गई थी। इन अविष्‍कारों से आधुनिक कम्‍प्‍यूटर युग की शुरूआत हुई, इसी कारण चार्ल्‍स बैवेज को कम्‍प्‍यूटर का पितामह भी कहा जाता है।
ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Calculator) प्रथम इलेक्‍ट्रानिक कम्‍प्‍यूटर है। यहीं से इलैक्‍ट्रानिक कम्‍प्‍यूटर्स का युग शुरू हुआ। 

इलैक्‍ट्रानिक कम्‍प्‍यूटर्स को चार जनरेशन्‍स में बांटा गया है।

  • First Generation (1945-1954) - वैक्‍यूम ट्यूब टैक्‍नोलॉजी का प्रयोग
  • Second Generation (1955-1964) - ट्रांजिस्‍टर टेक्‍लोलॉजी का प्रयोग
  • Third Generation (1965-1974) - इंटीग्रेटेड सर्किट (IC)का प्रयोग
  • Fourth Generation (1975- till date) - प्रोसेसर टैक्‍नोलॉजी का प्रयोग

Characteristics of Computer System कम्‍प्‍यूटर सिस्‍टम की विशेषतायें :

कम्‍प्‍यूटर स्‍पीड (Speed), एक्‍यूरेसी (Accuracy), कन्सिस्‍टेंसी, डाटा स्‍टोर (Data Storage) करने की क्षमता एवं फ्लेक्सिबिलिटी जैसी विशेषताओं के कारण काफी उपयोगी है। कम्‍प्‍यूटर पर तीव्र गति से गणनायें एवं दक्षतापूर्वक कार्य किया जा सकता है। कम्‍प्‍यूटर बिना किसी गलती के गणना कार्य कर सकता है।

Types of Computer (On the basis of Size) कम्‍प्‍यूटर के प्रकार (आकार के आधार पर) :

Micro Computer : यह सर्वाधिक छोटा कम्‍प्‍यूटर होता है, जिसमें एएलयू (ALU-Arithmetic Logic Unit)और सीपीयू (CPU- Central Processing Unit) एक ही चिप में लगे होते हैं।

Mini Computer : ये माइक्रो कम्‍प्‍यूटर से अधिक क्षमतावान होते हैं तथा डाटा को अधिक तेजी से संसाधित कर सकते हैं।

Mainframe Computer: ये अति उच्‍च भण्‍डार क्षमता वाले बहुत बडे आकार के कम्‍प्‍यूटर होते हैं। ये डाटा को बडी मात्रा एवं तेजी से संसाधित कर सकते हैं। इनका उपयोग बैंकों, बडी कम्‍पनियों एवं सरकारी विभागों में होता है।
Super Computer: यह कम्‍प्‍यूटर तेज गति एवं अत्‍यधिक संग्रह क्षमता वाले होते हैं। इनका आकार काफी बडा होता है। पहला सुपर कम्‍प्‍यूटर क्रे-1 वर्ष 1976 में क्रे रिसर्च कम्‍पनी द्वारा बनाया गया था। भारत का सुपर कम्‍प्‍यूटर परम-10000 है।

Electronics Computer are Analogue and Digital Computer. The Computer that we use are digital, not analogue computer.

इलैक्‍ट्रानिक कम्‍प्‍यूटर एनालॉग एवं डिजिटल कम्‍प्‍यूटर होते हैं। एनालॉग कम्‍प्‍यूटर में डाटा ट्रांसमिशन एक सीधी रेखा में होता है जिसे एनालॉगस ट्रांसमिशन कहते हैं। जैसे- तापमान, पारे, दाब एवं अन्‍य भौतिक प्रकृति की सूचनायें जबकि डिजिटल कम्‍प्‍यूटर्स का प्रयोग बाइनरी 0,1 या True/False सिग्‍नल के द्वारा होता है ये सिग्‍नल डिस्क्रिप्‍ट होते हैं।

हाइब्रिड कम्‍प्‍यूटर : इस प्रकार के कम्‍प्‍यूटर में एनालॉग एवं डिजिटल कम्‍प्‍यूटर दोनों ही विशेषतायें होती है। हाईब्रिड कम्‍प्‍यूटर का सबसे अधिक प्रयोग चिकित्‍सा के क्षेत्र में किया जाता है। जैसे- ECG Machine

Concept of Hardware and Software हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का कॉन्‍सेप्‍ट: 

कम्‍प्‍यूटर के सभी पार्टस जिन्‍हें हम हाथों से छू सकते हैं एवं देख सकते हैं, उन्‍हें हार्डवेयर कहते हैं। जैसे- मदरबोर्ड, एसएमपीएस, वीडियो डिस्‍प्‍ले यूनिट, रैम, साउण्‍ड कार्ड, कीबोर्ड, माउस, प्रिंटर आदि।

Software :- साफ्टवेयर निर्देशों का एक सैट होता है। जोकि कम्‍प्‍यूटर को कार्यशील बनाता है। साफ्टवेयर कम्‍प्‍यूटर को इन्‍टेलीजेंसी देता है तथा यूजर साफ्टवेयर पर ही कार्य करता है। साफ्टवेयर दो प्रकार के होते हैं।

1- System Software : सिस्‍टम साफ्टवेयर हार्डवेयर को हार्डवेयर से या हार्डवेयर को साफ्टवेयर से जोडने का कार्य करते हैं। जैसे- प्रिन्‍टर का ड्राईवर,
नोट- कुछ हार्डवेयर ऐसे होते हैं जिनमें साफ्टवेयर इमबडेड होता है वो डिवाइस फर्मवेयर कहलाती है और इस साफ्टवेयर को इमबडेड साफ्टवेयर कहा जाता है।

2- Application Software : एप्‍लीकेशन साफ्टवेयर पर यूजर अपना एप्‍लीकेशन रन करता है जैसे नोटपैड, एमएस आफिस, गेम आदि।
इसके अतिरिक्‍त कुछ और प्रकार के साफ्टवेयर होते हैं जिसे यूटिलिटी साफ्टवेयर कहा जाता है।

Input Devices : किसी भी निर्देश एवं डाटा को कम्‍प्‍यूटर में इनपुट डिवाइस के माध्‍यम से उपलब्‍ध कराया जा सकता है। कुछ इनपुट डिवाइस निम्‍न हैं :-
Keyboard, Mouse, Scanner, Track Ball, Light Pen, Optical Character Reader, Digital Camera, Bar Code Reader, Voice Input System

Output Devices : आउटपुट डिवाइस के माध्‍यम से सूचनायें जिन्‍हें हम स्‍टोरेज डिवाइस जैसे- हार्ड डिस्‍क, फ्लापी डिस्‍क इत्‍यादि में स्‍टोर कर प्रयोग कर सकते हैं। आउटपुट डिवाइस निम्‍न हैं :- Screen/Monitor, Printer, Plotter, Projector, Speaker, Headphones.

Microprocessor (CPU): प्रोसेसिंग डिवाइस चौथे जनरेशन के कम्‍प्‍यूटर में प्रोसेसर के रूप में उपयोग किया जाता है। डाटा इनपुट डिवाइस की सहायता से प्रोसेसर तक पहुंचता है तथा प्रोसेसर उसे प्रोसेस कर इनफारमेशन के रूप में आउटपुट डिवाइस के माध्‍यम से रिजल्‍ट देता है।
प्रोसेसर के तीन भाग होते हैं:-

1- ALU-Arithmetic Logic Unit : अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट कम्‍प्‍यूटर में तार्किक एवं अंकगणतीय कार्य को प्रोसेस करता है।

2- Control Unit : कंट्रोल यूनिट डाटा/इंस्‍ट्रक्‍शन को एनालाइज करके किस प्रकार की डिवाइस को प्रोसेसिंग के लिए या आउटपुट के लिए भेजना है, यह कार्य करती है।

3- Registers : रजिस्‍टर प्रोसेसिंग के समय डाटा/ इनफारमेशन को अपने पास होल्‍ड रखता है। रजिस्‍टर की स्‍पीड मुख्‍य मैमोरी से अधिक होती है।
प्रोसेसर के उदाहरण - पेंटियम-1,2,3,4, ड्यूल कोर, कोर ट ड्यू, कोर आई-3, कोर आई-5, कोर आई-7 आदि।

Buses : Buses are paths for information entering/exiting the CPU.

System Clock : System Clock Calculate the processing cycle.

Processing के प्रकार : - 

Processing मुख्‍यत: तीन प्रकार की होती है।

Serial Processing : यह एक बार में सिर्फ एक ही निर्देश (Instruction)को सम्‍पादित (Process)करता है।

Parallel Processing Multiple : इसमें एक साथ कई प्रोसेसिंग होती है। जैसे- Network Server, Super Computer आदि। यह एक अरब से अधिक निर्देशों (Instruction)को एक बार में सम्‍पादित (Process)कर सकता है। इसे टेराफ्लॉप (Teraflop) भी कहते हैं।

Pipelining Process : यह ऐसी टेक्निक है जिसमें पहला कार्य समाप्‍त हुए बिना दूसरे कार्य के लिए इन्‍सट्रक्‍शन दे दिया जाता है और दूसरा कार्य भी इक्जिक्‍यूट होने लगता है। इस तरह से एक साथ कई इन्‍सट्रक्‍सन एक साथ कार्य करते रहते हैं।

Computer Memory : कम्‍प्‍यूटर की मेमोरी कम्‍प्‍यूटर एवं कैलकुलेटर में अंतर बताती है। कम्‍प्‍यूटर के अंदर डाटा स्‍टोरेज मेमोरी के अंदर होता है।

Virtual Memory : वर्चुअल मेमोरी सिर्फ फिजिकल मैमोरी को एक्‍सपेन्‍ड करती है।

कम्‍प्‍यूटर में मेमोरी दो प्रकार की होती है :-

1. RAM (Random Access Memory)
2. ROM (Read Only Memory)

1. RAM (Random Access Memory) : यह एक रीड राइट मैमोरी होती है, इसमें डाटा टेम्‍परेरी (वोलाटाइल) होता है जो कि पावर सप्‍लाई कटते ही डाटा उड जाता है। डाटा रैण्‍डमली एक्‍सेस किया जाता है और सीपीयू से सीधा एक्‍सेस करता है।

रैम दो प्रकार की होती है।
SRAM : यह स्‍टैटिक रैण्‍डम एक्‍सेस मेमोरी होती है। इसकी स्‍पीड DRAM से अधिक होती है। कम्‍प्‍यूटर में यह सामान्‍यत: Cache Memory के रूप में होती है।

DRAM : यह डायनमिक रैण्‍डम एक्‍सेस मेमोरी होती है। यह एक इन्‍टरवल के बाद रिफ्रेस होती रहती है।
इसका उदाहरण SDRAM, RIMM, SIMM, DIMM आदि हैं।

2. ROM (Read Only Memory) : कम्‍प्‍यूटर में कुछ साफ्टवेयर के रूप डाटा चिप में स्‍टोर रहता है, जिसे यूजर सिर्फ पढ सकता है तथा इसमें कोई चेन्‍ज नहीं कर सकता है। इसलिए इसे रीड ओनली मैमोरी कहा जाता है। ROM के अन्‍य प्रकार PROM, EPROM, EEPROM, BIOS (Basic Input Output System) हैं।

मैमोरी की स्‍पीड को नैनो सेकेण्‍ड में नापा जाता है तथा मेमोरी करेक्‍शन में एरर चेक करने के मेथड को पैरिटी कहा जाता है।

Secondary Memory: सेकेंडरी मेमोरी का प्रयोग डाटा को स्‍टोर करने के लिए किया जाता है, तथा बाद में सेव डाटा का उपयोग किया जाता है। उदाहरण: हार्ड डिस्‍क ड्राइव, मैग्‍नेटिक टेप, जिप ड्राइव आदि।

Hard Disk : हार्ड डिस्‍क धातु से बनी ऐसी मैग्‍नेटिक डिवाइस है जो बडी मात्रा में डाटा के स्‍टोरेज हेतु प्रयोग की जाती है।
हार्ड डिस्‍क ड्राइव में प्‍लाटर हेड्स, ट्रैक्‍स, सेक्‍टर, क्‍लस्‍टर, सिलेण्‍डर इत्‍यादि कम्‍पोनेंट होते हैं।

Flash Memory : फ्लैश मेमोरी रैम एवं हार्ड डिस्‍क की तरह कार्य करती है परन्‍तु पावर आफ होने पर सभी डाटा मेमोरी में सेव रहता है। जैसे फोन में लगी मेमोरी, पेन ड्राइव आदि।

Optical Disks : आप्टिकल डिस्‍क डाटा स्‍टोरेज का एडवांस टेक्‍लोलॉजी है जिसमें डाटा को लेजर बीम द्वारा रीड और राइट किया जाता है।

VDU (Visual Display Unit)

यह एक साफ्ट आउटपुट डिवाइस है।
Example
1. CRT (Cathode Ray Tube)
2. LCD (Liquid Cristal Display)
3. TFT (Thin Film Transistor)
4. LED (Light Emitting Diode)

Keyboard : कीबोर्ड एक इनपुट डिवाइस है। इसमें Alphanumeric Key, Number Key, Special Key, Movement Key (Arrow Key, Page Up, Page Down, End, Home) और Function Key होती है।
On key press it sends a Code ASCII (American Standard Code for Information Interchange) to the CPU.

Mouse : माउस कम्‍प्‍यूटर की सबसे महत्‍वपूर्ण प्‍वांटिंग डिवाइस है। यह भी इनपुट डिवाइस है। माउस दो प्रकार के होते हैं :- 1. मेकेनिकल माउस 2. ऑप्टिकल माउस

Printer : प्रिंटर एक आउटपुट डिवाइस है जो कम्‍प्‍यूटर से डाटा प्राप्‍त कर उसका आउटपुट हार्ड कॉपी के रूप में प्रिंट करता है। प्रिंटिंग क्‍वालिटी को डॉट पर इंच (DPI-Dot Per Inch)में मापा जाता है।

प्रिंटर दो प्रकार के होते हैं :-
1. Impact Printer : इम्‍पैक्‍ट प्रिंटर प्रिंट करते समय हैमर करके इम्‍प्रैशन बनाता है। उदाहरण - डॉटमैट्रिक्‍स प्रिंटर, डेजीव्हिल प्रिटर, लाइन प्रिंटर आदि।

2. Non-Impact Printer : नान-इम्‍पैक्‍ट प्रिंटर बिना हैमर किये प्रिंट करता है। उदाहरण - इंकजेट प्रिंटर, लेजर प्रिंटर आदि।

Scanner : स्‍कैनर्स एक तरह की इनपुट डिवाइस होती है जो हार्ड कॉपी को सॉफ्ट कॉपी में परिवर्तित कर देता है।

OCR (Optical Character Recognition) : यह एक विशेष प्रकार का स्‍केनर होता है जो डिजिटल इमेज को एडिटेबल टेक्‍स्‍ट में भी सेव करता है। बार कोड रीडर भी एक विशेष प्रकार का स्‍कैनर है।

Major Components of Computer

Power Supply : पावर सप्‍लाई यूनिट कम्‍प्‍यूटर के सभी सर्किट एवं डिवाइसेस को पावर सप्‍लाई करता है।

Motherboard : मदरबोर्ड कम्‍प्‍यूटर में मैनेजर के रूप में कार्य करता है, जिस पर कम्‍प्‍यूटर के सभी कम्‍पोनेंट एक साथ जुडे हुए होते हैं।

CPU : सीपीयू कम्‍प्‍यूटर का दिमाग होता है यह गणना सम्‍बन्‍धी सभी कार्य करता है।

RAM : रैम कम्‍प्‍यूटर में पवर्तमान में प्रयोग किये जाने वाले सभी प्रकार के डाटा एवं प्रोग्राम इंस्‍ट्रक्‍शन को होल्‍ड रखता है।

Hard Disk : हार्ड डिस्‍क ड्राइव यह सभी सूचनओं को लम्‍बे समय तक स्‍टोर रखता है।

Floppy and CD ROM Drives : इसके द्वारा फ्लापी एवं सीडी से कम्‍प्‍यूटर को डाटा उपलब्‍ध करा सकते हैं।

Card Slots : इसके द्वारा आप अन्‍य कम्‍पोनेंट को कम्‍प्‍यूटर के साथ जोड सकते हैं।

Video Card : इसके द्वारा आप कम्‍प्‍यूटर पर मॉनीटर या स्‍क्रीन जोड सकते हैं।

Sound Card : यह कम्‍प्‍यूटर में स्‍पीकर व माईक को जोडता है।

Network Card : इसके माध्‍यम कम्‍प्‍यूटर एक कम्‍प्‍यूटर से दूसरे कम्‍प्‍यूटर के साथ सम्‍पर्क स्‍थापित करता है।

Power Supply : एसएमपीएस यह पावर सप्‍लाई यूनिट है।

Motherboard : मदरबोर्ड से सभी पेरिफेरल डिवाइसेस जुडी रहती है जैसे- हार्ड डिस्‍क, नॉन-रिमूवेबिल स्‍टोरेज डिवाइसेज एवं अन्‍य मैग्‍नेटिक डिस्‍क इत्‍यादि।

Software : साफ्टवेयर कम्‍प्‍यूटर को इंटेलीजेन्‍स प्रदान करता है। यह साफ्टवेयर दो प्रकार का होता है :

1. Application Software : एप्‍लीकेशन साफ्टवेयर का प्रयोग यूजर द्वारा अपने कार्य के लिए किया जाता है। उदाहरण- MS Word, Paint, Games Etc.

2. System Software: सिस्‍टम सॉफ्टवेयर कम्‍प्‍यूटर मशीन को यूजेबल बनाता है। यह हार्डवेयर से हार्डवेयर अथवा हार्डवेयर को साफ्टवेयर से जोडता है। उदाहरण - Operating System, Drivers

Computer Language : कम्‍प्‍यूटर की भाषा - कम्‍प्‍यूटर केवल इलेक्‍ट्रानिक सिग्‍नल (बाइनरी लैग्‍वेज) को ही समझता है।

प्रोग्रामिंग लैग्‍वेज (Programming Language) दो प्रकार की होती है-
1. हाई लेवल लैग्‍वेज - Example: COBOL, PASCAL, C, C++, Dot Net etc.

2. लो लेवल या मशीन लेवल लैग्‍वेज - Example: बाइनरी, ट्रान्‍सलेटर के द्वारा हाई लेबल को लो लेबल एवं लो लेबल को हाई लेबल लैग्‍वेज में ट्रान्‍सलेट किया जाता है।

Translator ट्रान्‍सलेटर के प्रकार - असेम्‍बलर, कम्‍पाइलर एवं इन्‍टरप्रेटर

असेम्‍बलर (Assembler) - इसका प्रयोग केवल असेम्‍बली लैग्‍वेज के लिए किया जाता है।

कम्‍पाईलर (Compiler) - इसका प्रयोग प्रोग्रामर द्वारा प्रोग्राम जैसे C, C++ को ट्रान्‍सलेट करने के लिए किया जाता है।

इन्‍टरप्रेटर (Interpreter)- इसका प्रयोग VB, Visual Fox Pro आदि केइन्‍स्‍ट्रक्‍शन को ट्रासलेट करने के लिए किया जाता है।

डेटा/इन्‍फारमेशन का रिप्रजेन्‍टेशन - डिजिटल कम्‍प्‍यूटर में डाटा बाइनरी के रूप में प्रोसेस होता है। डाटा या इनफोरमेशन को रिप्रजेन्‍ट करने केलिए नम्‍बर सिस्‍टम को समझना जरूरी है।

संख्‍याए चार प्रकार की होती है।
1. Binary बाइनरी- जिसका बेस (रेडिक्‍स) 2 होता है। इसकी डिजिटस 0 और 1 होता है।

2. Octal ऑक्‍टल - जिसका बेस 8 होता है। इसकी डिजिटस 0,1,2,3,4,5,6,और 7 होती है।

3. Decimal डेसिमल- जिसका बेस 10 होता है इसी का प्रयोग यूजर करता है। इसकी डिजिटस 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 और 9 होती है।

4. Hexadecimal हेक्‍साडेसिमल - जिसका बेस 16 होता है। इसकी डिजिटस 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, A, B, C, D, E और F होती है।

बाइनरी कोड डेसिमल - इस मैथड द्वारा दशमलव संख्‍या के प्रत्‍येक डिजिट को बाइनरी नम्‍बर में कनवर्ट किया जा सकता है।

ई-गवर्नेन्‍स : सरकार द्वारा नवीन सूचना तकनीक द्वारा द्वारा अपनी सर्विसेज आम जन तक पहुंचाने के तैयार किया गया है।
ई-गवर्नेन्‍स के प्राइमरी डिलीवरी मॉडयूल को निम्‍नलिखित रूप से विभाजित किया जा सकता है।

गवर्नमेन्‍ट-टू-सिटीजन/कन्‍ज्‍यूमर (G2C)- इस माडल के अन्‍तर्गत सरकार की सेवाये नागरिकों के लिए देने के लिए स्‍ट्रेटजी तैयार की गई है।

गवर्नमेन्‍ट-टू-बिजनेस (G2B)- सरकार एवं जनता के मध्‍य बिजनेस इनफोरमेशन उपलब्‍ध कराने एवं बिजनेस के सम्‍बन्‍ध में सलाह देने की व्‍यवस्‍था है।

गवर्नमेन्‍ट-टू-गवर्नमेन्‍ट (G2G) - इसके अन्‍तर्गत सरकारी विभाग/अथारिटी द्वारा अन्‍य सरकार/विभागों से गैर-व्‍यावसायिक संबंध स्‍थापित किया जाता है।

गवर्नमेन्‍ट-टू-इम्‍पलाईज (G2E)- यह सरकार एवं कर्मचारी के मध्‍य महत्‍वपूर्ण एवं प्रभावी आनलाईन इंटरेक्‍शन है।

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